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Part 2

Saturday, 8 January 2011

नो वन किल्ड जेसिका मूवी रिव्यू (no one killed jessica review in hindi)

नो वन किल्ड जेसिका
नई फिल्म : नो वन किल्ड जेसिका
कलाकार : रानी मुखर्जी , विधा बालन , राजेश शर्मा , मोहम्मद अयूब
निर्माता : रॉनी स्क्रूवाला
निर्देशक : राजकुमार गुप्ता
गीत : अमिताभ भट्टाचार्य
संगीत : अमित त्रिवेदी
सेंसर सर्टिफिकेट : एडल्ट
अवधि : 129 मिनट
रेटिंग : /photo.cms?msid=7234824
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डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता ने आमिर जैसी लीक से हटकर बनी फिल्म से अपनी काबलियत को साबित किया है। कुछ अर्से की खामोशी के बाद गुप्ता अब जब दर्शकों के सामने फिर से रूबरू हुए तो एक ऐसे सनसनीखेज हत्याकांड पर फिल्म बनाकर , जिसने भारतीय न्याय प्रणाली का आम नागरिकों के बीच विश्वास पुख्ता किया। बेशक करीब ग्यारह साल पहले अप्रैल 1999 में मॉडल जेसिका लाल की हत्या का मामला अपराध और राजनीति के मजबूत गलियारों के बीच कहीं कहीं से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहा , लेकिन इस हत्यकांड से जुड़े लोगों के बेहद ऊंचे हाई प्रोफाइल के चलते यह मामला कई सालों तक मीडिया की सुर्खियों में रहा। यह मीडिया में इस मामले से जुड़ी सनसनीखेज रिपोर्टिंग का ही असर रहा कि बॉलिवुड की एक बड़ी प्रॉडक्शन कंपनी ने इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाने का जोखिम उठाया। आमतौर से वास्तविकता से जुड़े मामलों पर फिल्म बनाना इसलिए मुश्किल माना जाता है , कि फिल्म की रिलीज़ के ऐन वक्त कोई कोई विवाद फिल्म को कानूनी मुश्किलों में ला देता है। ऐसे में डायरेक्टर ने हर कदम को फूंक - फूंक कर उठाया और कहानी को नाटकीयता से बचाने के मकसद से जेसिका की बहन सबरीना की मदद ली , जो इस केस की खुली किताब हैं। बेशक , किसी भी मामले को जब सिल्वर स्क्रीन पर पेश करते हुए उसमें कल्पनाओं का कहीं कहीं सहारा लेना जरूरी माना जाता है , यही बात इस फिल्म के सेकंड पार्ट में साफ नजर आती है , जब टीवी रिपोर्टर मीरा गेटी को कुछ ज्यादा ही दबंगई और बिंदास दिखाने के मकसद से डायरेक्टर ने उसके करेक्टर को इतना बोल्ड बना दिया जो आसानी से गले नहीं उतरता। हां , फिल्म में सबरीना और जेसिका की फैमिली के दर्द और उनके संघर्ष को बेहद दमदार ढंग से उठाया गया है और तारीफ करनी होगी फिल्म की प्रॉडक्शन टीम से जुड़े हर सदस्य की , जिन्होंने फिल्म को बॉलिवुड के चालू मसालों और लटकों झटकों से काफी दूर रखा।

कहानी : साउथ दिल्ली की एक बेहद हाई प्रोफाइल पार्टी में जेसिका ( मायरा खान ) को सिर्फ इस बात पर गोली मार दी गई , कि उसने देर रात पार्टी में पहुंचे कुछ रईसजादों को ड्रिंक सर्व करने से नियमों का हवाला देकर विन्रमता से इनकार कर दिया था। जेसिका का इनकार करना एक बड़े राजनेता के बेटे मनीष भारद्वाज (मोहम्मद अयूब) को ऐसे लगा , जैसे किसी ने उसका सबके सामने अपमान कर दिया हो। मनीष ने जब जेसिका को गोली मारी , उस वक्त पार्टी में तीन सौ के करीब हाई प्रोफाइल गेस्ट मौजूद थे , लेकिन एक बड़े राजनेता के बेटे के खिलाफ मुंह खोलने वाला इनमें एक भी नहीं था। पुलिस में मामला दर्ज हुआ , केस बहुत कमजोर था और चूंकि इस हत्याकांड का एक भी गवाह नहीं मिला , ऐसे में अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी दोषियों को बरी कर दिया। ऐसे में जेसिका की बहन सबरीना ( विधा बालन ) और एक बिंदास टीवी रिपोर्टर मीरा गैटी ( रानी मुखर्जी ) ने अपने दमखम पर जेसिका को इंसाफ दिलाने का बीड़ा उठाया।

ऐक्टिंग : सबरीना और मीरा गैटी की भूमिकाओं में विधा और रानी से बेहतरीन दूसरा कोई कलाकार हो ही नहीं सकता। इन दोनों ऐक्ट्रेसेस ने बेहतरीन परफ़ॉर्मेंस दी है। ऐसे में ऐक्टिंग की कसौटी के लिए नंबर वन औन नंबर टू की बहस निरर्थक है। हां , इंटरवल के बाद रानी ने कुछ दृश्यों में बेहतरीन ऐक्टिंग की , लेकिन सबरीना के संघर्ष और उसके अंदर के दर्द को विधा बालन ने अपनी दमदार ऐक्टिंग से जीवंत कर दिखाया है। ऐसे में , जहां रानी ने क्लाईमेक्स के कुछ दृश्यों में ओवर ऐक्टिंग कीं , वहीं विधा लाजवाब रहीं। पूरी फिल्म इन दोनों के इर्दगिर्द घूमती है। ऐसे में इन दो बेहतरीन ऐक्ट्रेस के सामने किसी दूसरे ऐक्टर को करने के लिए कुछ खास नहीं मिला , फिर भी मनीष शर्मा की भूमिका में मोहम्म्द अयूब ने अपनी छाप छोड़ी।

डायरेक्शन : इस फिल्म को आप रानी - विधा की फिल्म के बजाए डायरेक्टर के सफल विज़न की फिल्म कह सकते हैं। राजकुमार गुप्ता ने अपनी स्क्रिप्ट पर जमकर मेहनत की और पूरी फिल्म में स्क्रिप्ट को कहीं भी कमजोर नहीं पड़ने दिया। दिल्ली में सबरीना के संघर्ष और अदालत में गवाहों से बहस के दृश्य इस फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी कहे जाते हैं। ' आमिर ' के बाद एक बार फिर गुप्ता ने अपने बेहतरीन काम से साफ कर दिया है कि करोडों की प्राइस मांगने वाले सुपर स्टार के बिना भी अच्छी फिल्म बनाई जा सकती है।

संगीत : अमित त्रिवेदी का म्यूजिक फिल्म के माहौल पर सौ फीसदी फिट है। आली रे , धन चिक्क , डी डी डी दिल्ली दिल्ली , गाने फिल्म की रिलीज़ से पहले सभी म्यूजिक चार्ट में नंबर फाइव की रेस में शामिल हैं।

क्यों देखें : रानी - विधा की बेहतरीन परफ़ॉर्मेंस के बीच एक ऐसी कहानी , जिसका अंत आप बहुत पहले से जानते हैं , इसके बावजूद फिल्म आपको स्टार्ट टू लास्ट तक बांधने में कामयाब है। अदालत में गवाहों से बहस के प्रभावशाली दृश्य हैं। वहीं , फैमिली क्लास के लिए फिल्म में कुछ नहीं , गालियों और कुछ डबल मीनिंग संवादों के अलावा बोल्ड सीन्स यकीनन फैमिली क्लास की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाएंगे।  

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