Movie Review (हिंदी में) : नो प्रॉब्लम
मूवी : नो प्रॉब्लम
फिल्मः नो प्रॉब्लम
कलाकार: संजय दत्त , अनिल कपूर , अक्षय खन्ना , सुनील शेट्टी , परेश रावल , शक्ति कपूर , मुकेश तिवारी , सुष्मिता सेन , कंगना राणावत , नीतू चंद्रा
प्रड्यूसर: डॉ. बी. के. मोदी , अनिल कपूर
कलाकार: संजय दत्त , अनिल कपूर , अक्षय खन्ना , सुनील शेट्टी , परेश रावल , शक्ति कपूर , मुकेश तिवारी , सुष्मिता सेन , कंगना राणावत , नीतू चंद्रा
प्रड्यूसर: डॉ. बी. के. मोदी , अनिल कपूर
डायरेक्टर: अनीस बज्मी
गीत: शब्बीर अहमद , कुमार , आनंद राज आनंद
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती , साजिद-वाजिद , आनंद राज आनंद
सेंसर सर्टिफिकेट: यू ए
अवधि: 139 मिनट।
अनीस बज्मी की फुल कॉमिडी फिल्म नो एंट्री ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल का बिजनेस किया था। बस , इसके बाद अनीस को लगा कि कॉमिडी के शॉर्टकट से हिट फिल्म बनाना मुश्किल नहीं , इस फिल्म के मेकर्स ने रिलीज से पहले ही फिल्म को सौ फीसदी कॉमिडी साबित करने का फंडा अपनाया और प्रोमोज में ऐसे सीन दिखाए , जिनसे आप कहानी का टेस्ट आसानी से समझ सकते है। ऐसे में फिल्म की एक ऐसी क्लास पहले से तय हो जाती है जो सिनेमा सिर्फ मौज मस्ती के लिए आते है , संयोग की बात रही अनीस की पिछली दोनों फिल्में वेलकम और सिंह इज किंग भी हिट रही तो इस बार भी उन्होंने नया कुछ करने की बजाय एकबार फिर उन्हीं चालू मसालों को अपनी फिल्म में फिट किया जो 70-80 के दशक की हिट फिल्मों में नजर आते थे। इन फॉर्म्युलों में दामाद निकम्मा पुलिस अफसर , और ससुर पुलिस कमिश्नर , दो दोस्तों का मिलकर चोरियां करना और बाद में यकायक दूसरे चोर द्वारा चोरी की राह छोड़ शरीफ बनने का फैसला , म्यूजियम से करोड़ों के हीरों की चोरी , बैक में लूट शामिल है , जो अस्सी की सुपर हिट फिल्मों में नजर आते थे। इस बार इन फॉर्म्युलों के साथ कुछ नया करने की चाह में अनीस ने फिल्म में एक अनोखा जानवर भी फिट किया है। अनीस ने अपनी पिछली फिल्मों में कहानी और स्क्रीनप्ले पर जितना अच्छा फोकस किया , उतना इस फिल्म में नजर नहीं आता। यही वजह है दो चोरों के इर्द गिर्द घूमती इस कहानी में जब भी कोई नया किरदार शामिल होता है , तभी कहानी की रफ्तार सुस्त पड़ने लगती है। संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती , साजिद-वाजिद , आनंद राज आनंद
सेंसर सर्टिफिकेट: यू ए
अवधि: 139 मिनट।
कहानी: यश अंबानी (संजय दत्त) और राज अंबानी (अक्षय खन्ना )दोनों छोटे मोटे चोर हैं। जब भी कहीं भी कोई महंगी चीज देखी तो झट इनके हाथों में खुजली होने लगती है। कोई बड़ा हाथ मारने की चाह दोनों बैंक मैनेजर झंडू लाल (परेश रावल) के यहां आते है और मौका मिलते ही बैंक के माल पर हाथ साफ कर भाग जाते हैं। पुलिस को लगता है इस बैंक डकैती की साजिश में झंडू लाल शामिल है , ऐसे में वह बैंक के चेयरमैन से कुछ वक्त की मोहलत लेकर इन दोनों के पीछे लग जाता है। उधर , शहर का पुलिस कमिश्नर (शक्ति कपूर) अपने दामाद सीनियर इंस्पेक्टर दामाद अर्जुन सिंह (अनिल कपूर) से परेशान है , जो हर केस को हल करने में नाकाम साबित हो रहा है। ऐसे में अर्जुन सिंह की वाइफ काजल (सुष्मिता सेन) पर्सनैलिटी डिसऑर्डर की उस वक्त शिकार हो जाती है जब उसे पता चलता है उसका पति हीरो नहीं , हर काम में जीरो है। इसी बीच , राज को काजल की छोटी बहन संजना (कंगना राणावत) से प्यार हो जाता है , इनकी सगाई के ऐन वक्त झंडू लाल वहां पहुंच जाता है और धमकी देता है कि अगर उसे बैंक से लूटा पैसा नहीं लौटाया गया तो वह संजना की फैमिली की हकीकत राज को बता देगा। वहीं इसी कहानी में माकोर्स नाम के कुख्यात अपराधी (सुनील शेट्टी) की एंट्री है जो म्यूजियम से चुराए करोड़ों के हीरो को हासिल करने के लिए कुछ भी करने पर आमादा है और यश और राज भी इन डायमंड की चोरी में कुछ ऐसे घिरते हैं कि पुलिस उनको मर्डर केस में भी आरोपी मान कर उनके पीछे लग जाती है।
ऐक्टिंग: फिल्म में लगभग पांच ऐसे मेन स्टार जो सभी 40 के आसपास है , ऐसे में डायरेक्टर ने अपनी ओर से इन सीनियर्स को कहानी में बराबरी का हिस्सा देने की कोशिश की है। लीड रोल में संजय और अक्षय की जो जोड़ी में वैसी ताजगी दिखाई नहीं दी जो डेविड धवन की फिल्मों में संजय दत्त-गोविंदा की जोड़ी में नजर आती थी। संजय (अक्षय) के अलावा अनिल कपूर , सुनील शेट्टी और परेश रावल को भी कहानी में अपनी मौजूदगी साबित करने का मौका मिला है , सुष्मिता और कंगना के लिए इस कहानी में करने के लिए कुछ खास नहीं था , सो दोनों ने बस अपनी भूमिकाएं निभा भर दी। अन्य भूमिकाओं में , नीतू चंद्रा और मुकेश तिवारी बस ठीकठाक रहे।
डायरेक्शन: लगता है कि अनीस अपने कलाकारों को कैमरे के सामने अपनी ओर से भी काफी आजादी देते हैं तभी तो फिल्म के लगभग हर कलाकार ने कुछ अलग करने की कोशिश की है। वहीं , कहानी को बार-बार टर्न देने के लिए नए कैरक्टर का आना हजम नहीं होता। इस सिंपल कहानी को क्लाइमेक्स में सस्पेंस थ्रिलर का तड़का लगाना भी समझ आता।
संगीत: फिल्म में तीन संगीतकारों का नाम जुड़ा है , ऐसे में हर किसी ने कुछ नया पेश करने की कोशिश की है। फिल्म के तीन गाने बाबे दी कृपा , मस्त पंजाबी , शकीरा-शकीरा और टाइटिल गाना नो प्रॉब्लम ने कई म्यूजिक चार्ट्स में अपनी जगह बना ली है।
क्यों देखें: यह फिल्म लीक से हटकर या रिऐलिटी फिल्म पसंद करने वालों की कसौटी पर जरा भी फिट नहीं बैठेगी , जो सिनेमा में कुछ नया तलाश करते हैं। वहीं अगर आप डायरेक्टर की हर भूल माफ कर फैमिली के साथ ढाई घंटे बिना किसी तर्क के सिर्फ एन्जॉय करने की चाह में फिल्म देखने की प्लानिंग कर रहे है तो हॉल में ठहाके मारने का मौका जरूर मिलेगा।
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